प्रतिवर्ष 21 मार्च को विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस के रूप में मनाया जाता है। डाउन सिंड्रोम समझने से पहले हमें कोशिका के बारे में थोड़ा सा समझने की आवश्यकता है जिसकी खोज रॉबर्ट हुक ने सन् 1665 में की थी। पृथ्वी पर भाँति-भाँति प्रकार के जीव जंतु, पेड़-पौधे हैं जो एक-दूसरे से बहुत भिन्न दिखाई देते हैं । परन्तु सभी का शरीर अनेक छोटी-छोटी इकाईयों से मिलकर बना होता है, प्रत्येक इकाई को कोशिका कहते हैं । कोशिका शरीर की रचनात्मक एवं कार्यात्मक इकाई है । इसी आधार पर जीवों को दो तरह से विभाजित किया गया है एककोशिकीय जीव(एक ही कोशिका से बने जीव) व बहुकोशिकीय(अनेक कोशिकाओं से बने जीव)।
मनुष्य भी बहुकोशिकीय जीव हैं यानि हमारा पूरा शरीर भी कोशिकाओं से मिलकर बना है। जंतु कोशिका में साइटोप्लाज्म, माइटोकॉण्ड्रिया(पावर हाउस), सेण्ट्रोसोम, केंद्रक, राइबोसोम,गाल्जीकाय आदि चीजें पाई जाती हैं।
कोशिका में केंद्रक(न्यूक्लियस), में डीएनए पाया जाता है, समान्यत: डीएनए क्रोमेटिन के रूप में हमारी कोशिकाओं में मिलता है। जब कोशिका विभाजन करती हैं माईटोसिस या मिओसिस तब यही डीएनए सबसे संघनित रूप में यानि क्रोमोसोम (गुणसूत्रों) के रूप में मिलता है। आमतौर पर इंसानों में 46 (गुणसूत्र)क्रोमोसोम पाए जाते हैं जोकि जोड़ों में होते हैं यानि 23 जोड़े। जिसमें से 22 जोड़ों को ऑटोसोमस जोकि सामान्य शरीरिक विकास से जुड़े होते हैं व एक जोड़े को सेक्स क्रोमोसोम कहा जाता है, जोकि लिंग निर्धारित करता है।
क्या है डाउन सिंड्रोम :-
जब किसी व्यक्ति में 21वें गुणसूत्र की एक अतिरिक्त प्रति होती है, तो उसे
कहा जाता है। इस स्थिति को ट्राइसॉमी 21 भी कहते हैं, क्योंकि इसमें 21वें गुणसूत्र की तीन प्रतियाँ होती हैं, जबकि सामान्यतः यह जोड़ी में होता है। इस अतिरिक्त गुणसूत्र के कारण शरीर और मस्तिष्क के विकास में कुछ अंतर आ जाता है।
डाउन सिंड्रोम के मुख्य प्रकार
1. ट्राइसॉमी 21 – यह सबसे आम प्रकार है, जिसमें प्रत्येक कोशिका में 21वें गुणसूत्र की एक अतिरिक्त प्रति होती है।लगभग 95% मामलों में यही कारण होता है।
2. मोज़ेक डाउन सिंड्रोम – इसमें कुछ कोशिकाओं में सामान्य 46 गुणसूत्र होते हैं, जबकि कुछ में 47 गुणसूत्र होते हैं।
3. ट्रांसलोकेशन डाउन सिंड्रोम – इसमें 21वें गुणसूत्र का एक भाग किसी अन्य गुणसूत्र से जुड़ जाता है।
लक्षण या विशेषताएँ
डाउन सिंड्रोम से प्रभावित व्यक्तियों में कुछ सामान्य विशेषताएँ देखी जाती हैं, जैसे: छोटे कद और सपाट चेहरा,बादाम के आकार की आँखें,मांसपेशियों की कमजोरी,बौद्धिक विकास में देरी,हृदय रोग, सुनने और देखने की समस्याएँ होने की संभावना आदि हालाँकि,यह आवश्यक नहीं कि सभी लक्षण हर व्यक्ति में समान रूप से प्रकट हों। हर व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक क्षमताएँ भिन्न हो सकती हैं।
डाउन सिंड्रोम विश्वभर में सबसे सामान्य आनुवंशिक विकारों में से एक है, जो लगभग हर 700 जन्मों में से 1 में पाया जाता है। यह विकार वैश्विक स्तर पर बौद्धिक विकलांगता के 15-20% मामलों के लिए जिम्मेदार है। ईटी हेल्थ में 2021 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार 30-35 हजार बच्चे डाउन सिंड्रोम के साथ जन्म लेते हैं।डाउन सिंड्रोम एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मुद्दा है, जो विशेषकर भारत जैसे विकासशील देशों में अधिक ध्यान और जागरूकता की मांग करता है। डाउन सिंड्रोम से प्रभावित व्यक्तियों को हमारी सहानुभूति नहीं, बल्कि हमारे सहयोग और प्रोत्साहन की आवश्यकता है। कई बार कुछ लोग अनुवांशिक विकारों से जूझ रहे व्यक्तियों से छुआछुत करने लगते हैं जबकि अनुवांशिक रोग छूने से नहीं फैलते। समाज को यह समझना चाहिए कि वे अलग नहीं हैं, बल्कि विशेष हैं। अगर उन्हें सही अवसर दिए जाएँ, तो वे भी अपनी क्षमताओं को पहचान सकते हैं और जीवन में ऊँचाइयों तक पहुँच सकते हैं।इसी प्रयास में हर साल 21 मार्च को विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस मनाया जाता है। यह तारीख प्रतीकात्मक रूप से 21वें गुणसूत्र की तीन प्रतियों (ट्राइसॉमी 21) को दर्शाती है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को जागरूक करना, डाउन सिंड्रोम से प्रभावित व्यक्तियों को समाज में समान अधिकार दिलाना और उन्हें सम्मानपूर्वक जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है। तो आईए हम देश के विकास में अपनी भूमिका निभाते हुए अनुवांशिक रोगों के प्रति जागरूकता फैलाएं। नवजात शिशुओं और गर्भवती महिलाओं के लिए जो स्क्रीनिंग कार्यक्रम चलाए जाते हैं, उनका प्रसार करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें जिससे समय पर विकारों का पता लगाया जा सके। इससे भेदभाव को कम करने में तो मदद मिलगी है साथ ही शुरुआती समय पर पहचान होने से उचित उपचार और समावेशन सुनिश्चित किया जा सके।
✍️मनीष कुमार
स्वतन्त्र लेखक, युवा स्तम्भकार
युवा राजनीतिक विश्लेषक एवं कवि
Discover more from Awaz E Bharat
Subscribe to get the latest posts sent to your email.