चंबा (आवाज ए भारत): हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के उपमंडल तीसा की सनवाल पंचायत में सेब घोटाले के बाद अब एक और बड़ा वित्तीय घोटाला सामने आया है। यहां एक खच्चर के नाम पर 1 करोड़ 53 लाख 55 हजार रुपये की ढुलाई दिखाई गई, जबकि वैंडर के पास केवल एक ही खच्चर उपलब्ध था।
जानकारी के अनुसार मामले की जांच में सामने आया है कि इस भारी-भरकम राशि का भुगतान सरकारी खजाने से किया गया है, लेकिन यह रकम बाद में पंचायत प्रतिनिधियों और उनके रिश्तेदारों के खातों में ट्रांसफर कर दी गई है। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि जिस वैंडर को यह भुगतान किया गया, वह अब भी बीपीएल श्रेणी में दर्ज है।
आइए जानते हैं कैसे हुआ इस घोटाले का खुलासा
पुलिस को सनवाल पंचायत में वैंडरों की आड़ में करोड़ों रुपये के गबन की शिकायत मिली थी। जांच के दौरान सामने आया कि पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा वैंडर के नाम पर ढुलाई के बिल तैयार कर सरकारी खाते से भुगतान लिया गया है और फिर यह धनराशि पंचायत प्रतिनिधियों के निजी खातों में ट्रांसफर कर दी गई है। हर पंचायत में सामग्री की ढुलाई के लिए वैंडर नियुक्त किए जाते हैं और इस मामले में सनवाल में भी एक खच्चर वैंडर को नियुक्त किया गया था। लेकिन जब मामले की जांच गहराई से की गई, तो पता चला कि अकेले एक खच्चर के माध्यम से 1.53 करोड़ रुपये की ढुलाई दर्शाई गई है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने विस्तृत जांच शुरू कर दी है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर वैंडर ने इतनी बड़ी राशि पंचायत प्रतिनिधियों के खातों में क्यों ट्रांसफर की? साथ ही यह भी जांच का विषय बना हुआ है कि क्या इस घोटाले में अन्य अधिकारी या कर्मचारी भी शामिल हैं?
हिमाचल प्रदेश में इससे पहले भी पंचायत स्तर पर वित्तीय अनियमितताओं के कई मामले सामने आते रहते हैं। इस नए घोटाले ने प्रशासन की पारदर्शिता और सरकारी धन के सही उपयोग को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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